धर्म अपना अपना - 1 Kishanlal Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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धर्म अपना अपना - 1

"तू जानती है क्या कह रही है?"
"कोई नई बात नही कह रही,"रुबिका की बात सुनकर आयशा बोली,"जवान होने पर हर लड़की शादी करती है।मैं भी शादी कर रही हूँ।"
"शादी करना जुर्म नही है।"
"तो फिर?"
"जुर्म यह है कि तू एक काफिर से शादी कर रही है।"
"तेरी नजर में काफिर कौन है?"
"जो दूसरे धर्म का हो।"
"तेरे लिए वह काफिर होगा लेकिन वह मेरा प्यार है।"
आयशा पाकिस्तान की रहने वाली थी।उसके पिता असलम और माँ जाहिरा थी।उसके पिता की आंखे नजमा से लड़ गयी।जब इस बात का पता जाहिरा को लगा तो उसकी अपने शौहर से नजमा को लेकर रोज झगड़ा होने लगा।लेकिन झगड़े का कोई असर असलम पर नही हुआ और वह नजमा से निकाह करके घर ले आया।उसके धर्म मे बहुपत्नी प्रथा है।बहुत से लोग एक से ज्यादा निकाह करते है।उसके रिसते में भी ऐसे लोग थे।उसके पिता की भी दो बेगम थी।
पर जाहिरा शिक्षित नारी थी।उसे यह बरदास्त नही हुआ।वह बेटी को लेकर अलग हो गयी।वह पढ़ी लिखी थी।उसने अपने लिए नौकरी ढूंढ ली और बेटी को पढ़ाने लगी।उसकी बेटी पढ़ने में होशियार थी।हर क्लास में अच्छे नम्बर से पास होती।बड़ी होने पर उसे इंगलेंड में स्कॉलरशिप मिल गयी।और वह पाकिस्तान से इंगलेंड आ गयी।
वह केम्ब्रिज आयी थी एम बी ए करने के लिए।उसे विदेश भेजते समय जाहिरा बेटी से बोली,"अपना ख्याल रखना और जमाने की हवा से बचकर रहना।'
"अम्मी अब मैं बच्ची नही रही।अच्छे बुरे की समझ रखती हूं।"
"जानती हूँ,"जाहिरा बोली,"पढ़ाई पूरी होते ही वापस लौट आना।"
"नही अम्मी,"आयशा बोली,"अगर अच्छी सी नौकरी मिल गयी तो कर लुंगी।'
"नौकरी तो तुझे पाकिस्तान मेभी मिल जाएगी।'
"माँ हमारे देश के हालात देख रही है।रोज दंगा फसाद,बम धमाके,हत्या
"मतलब तू इन से निकलकर जा रही है,अपनी माँ को इनमें छोड़कर।"
"नही अम्मी,"आयशा बोली,"तुझे यहाँ नही छोडूंगी।नौकरी लगते ही अपने पास बुला लुंगी।'
और आयशा की पढ़ाई शुरू हो गयी।एक दिन वह लाइब्रेरी में किताब लेने के लिए गयी।लाइब्रेरियन के पास एक लड़का पहले ही खड़ा था।वह लाइब्रेरियन से बोली,"मुझे केपिटल मैनेजमेंट की किताब चाहिए।"
"यह किताब तो पहले यह इसु करा रहे है।'
वह लड़का बोला,"पहले आप इन्हें दे दे।"
और वह लड़का आकर बैठ गया और टेबिल पर पड़ी मैगजीन देखने लगा।आयशा किताब लेने के बाद उसके पास आकर बैठते हुए बोली,"आप इसे ले रहे थे फिर आपने मुझे क्यो दे दी?"
"आप लड़की है,"वह बोला,"पहले आप पढ़ ले।मैं फिर पढ़ लूंगा।'
"थेंक्स,"आयशा बोली,"आपका नाम क्या है?'
"परेश,"वह बोला,"और तुम्हारा?"
"आयशा,"आयशा बोली,"कंट्री कोनसा है?"
"इंडिया,"परेश बोला,"और तुम्हारा?'
"पाकिस्तान।'
"गुड।पड़ोसी हो,"परेश बोला,"दोस्ती करोगी मुझसे?"
"क्यो नही।"
"तो हाथ मिलाओ,"परेश ने आयशा की तरफ अपना हाथ बढ़ाया था।आयशा ने परेश का हाथ पकड़ लिया।
",तो चलो दोस्ती की खुशी में कॉफी पीते है।'
"चलो।कहां पर चलना है?"
"केंटीन में चलते है। बहुत अच्छी कॉफी मिलती है।"
और आयशा,परेश के साथ केंटीन में आ गयी।
यहाँ पर सेल्फ सर्विस थी।काउंटर से पहले कूपन लेना पड़ता था।फिर उस कूपन से दूसरे काउंटर से काफी मिलती थी।परेश दो कप लेकर आया।रक कप आयशा की तरफ बढ़ाते हुए बोला,"गरमा गरम कॉफी पियो।'
"क्या इंडियन लड़के इतने शरीफ होते है?'
"क्या मतलब?'
"हमारे यहाँ तो कहा जाता है भारतीय हमारे दुश्मन है।'
"अगर तुम भी ऐसा सोचती हो तो मुझे अपना दुश्मन दोस्त समझ सकती हो।"